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आईये! हम अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में टिप्पणी लिखकर भारत माता की शान बढ़ाये.अगर आपको हिंदी में विचार/टिप्पणी/लेख लिखने में परेशानी हो रही हो. तब नीचे दिए बॉक्स में रोमन लिपि में लिखकर स्पेस दें. फिर आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा. उदाहरण के तौर पर-tirthnkar mahavir लिखें और स्पेस दें आपका यह शब्द "तीर्थंकर महावीर" में बदल जायेगा. कृपया "रमेश कुमार निर्भीक" ब्लॉग पर विचार/टिप्पणी/लेख हिंदी में ही लिखें.

शनिवार, अगस्त 28, 2010

हिंदी में ईमेल कैसे भेजें.

हिंदी कहने को तो हमारे देश की राजभाषा है. मगर आज हिंदी को उतना सम्मान नहीं मिल रहा है, जितने की हक़दार थीं.लेकिन हम अपने व्यापारिक व निजी पत्रों को हिंदी में लिखकर भेजने से हिंदी को वो सम्मान दिलाने की कोशिश तो कर सकते हैं.जब भारत देश के पड़ोसी देश अपने देशों में हिंदी सिखाने के स्कूल खोल सकते हैं.तब क्या हम इतने गए गुजरे है कि-हमें भारत में रहते हुए भी हिंदी में काम करने में शर्म आती है या संकोच होता है.अगर हमें भारत में रहते हुए भी हिंदी में काम करने में संकोच होता हो तो क्या हमें भारतीय कहलवाने का हक़ है?जब हम अपने देश के प्रति ही ईमानदार नहीं होंगे,क्या अमरीका या पाकिस्थान के लिए ईमानदार बनोंगे?क्या हम मात्र स्टेटस के लिए अपने व्यापारिक व निजी पत्रों को अंग्रेजी में नहीं लिख रहे हैं कि कोई हमें अनपढ़, ग्वार न समझें?मात्र अंग्रेजी में लिखे पत्रों से ही नहीं माना जा सकता है कि-उपरोक्त व्यक्ति पढ़ा-लिखा है.क्या हमें मात्र अंग्रेजी में लिखे पत्रों से ही पहचान मिलती है? बल्कि हमारे अच्छे विचारों से,अपने देश के प्रति ईमानदारी से और इंसानियत के जज्बे से ही पहचान मिलती है.
पाठकों/दोस्तों-जब हम हिन्दुस्थान में रहते हुए भी हम हिंदी का प्रयोग नहीं करेंगे तो क्या अमरीका व अन्य देशों के नागरिक प्रयोग करने के लिए आयेंगे?आज से अपने-आप में ठान लो कि- हम अपना अब अधिक से अधिक कार्य और पत्र हिंदी में ही लिखेंगे.शान से कहो कि-हमें गर्व है, हम भारतीय हैं. चाहे आपको कोई अनपढ़ व ग्वार कहे या समझे. कहने वाला कहता रहे और समझने वाला समझता रहे-हम तो भारतीय हैं और भारतीय ही रहेंगे.

अंग्रेजी जानने वाले व्यक्ति को पढ़ा-लिखा मानने वाले व्यक्ति इस "सिरफिरा" का अभिनन्दन स्वीकार कीजिए. मैं स्वीकार करता हूँ कि-हाँ! मैं एक अंगूठा टेक(अनपढ़ व ग्वार) इंसान हूँ. जिससे अंग्रेजी की ए.बी.सी नहीं आती है.लेकिन मुझे गर्व है कि-मुझे हिंदी का थोड़ा-बहुत ज्ञान है और मेरी कथनीकरनी में कोई फर्क नहीं है.
यह हमारे भारत देश की सबसे बड़ी बदनसीबी है कि-यहाँ की उच्चतम न्यायालय(सुप्रीम कोर्ट) और भारत की राजधानी दिल्ली की उच्च न्यायालय(हाईकोर्ट) की वेबसाइट तक हिंदी में नहीं है. वैसे तो देश की हर सरकारी व प्राईवेट संस्थाओं की वेबसाइट द्धिभाषीय होनी चाहिए.मगर कम से कम हर छोटे-बड़े न्याय का मंदिर कहलवाने वाले न्यायलयों की वेबसाइट हिंदी और अंग्रेजी में होनी ही चाहिए.
मैं आपको जितनी भी मुझे जानकारी है उसी के आधार पर हिंदी में ईमेल कैसे भेजें से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी सरल (आम बोलचाल) भाषा में दे रहा हूँ. किसी प्रकार की कोई गलती हो गई हो तो क्षमा कर दें.मैंने सुना है कि ज्ञान बाँटने से ही ज्ञान बढ़ता है.उसी ज्ञान को बढ़ाने हेतु अपनी जानकारी आपसे बाँट रहा हूँ.
हिंदी में ईमेल भेजने से पहले कुछ ध्यान रखने योग्य बातें :-
आप किसी भी सोफ्टवेयर में हिंदी का अपना मैटर टाईप करने के बाद कापी करके मैसेज के स्थान पर पेस्ट कर सकते हैं.मगर ईमेल प्राप्त करने वाले व्यक्ति के पास भी वो फॉण्ट होना चाहिए, जिस फॉण्ट में आपने अपना मैटर लिखा होता है.इसलिए वो फॉण्ट भेजना भी अच्छा होता है,जिसमें आपने अपना मैटर लिखा था. अगर आपने फॉण्ट नहीं भेजा तो ऐसा होता है कि-ईमेल प्राप्तकर्ता अपने पास उपलब्ध हिंदी का फॉण्ट लगता है और कई बार फोन्टों की विभिन्नताओं की वजह से संदेश कुछ का कुछ पढ़ने में आता है.
अगर आप अपना व्यापारिक पत्र को अपने लैटरपैड पर भेजना चाहते हैं. तब आप किसी भी सोफ्टवेयर में हिंदी का पत्र टाईप करवाकर लैटरपैड पर उसका प्रिंट निकाल लें और स्कैन करके उसकी पीडीऍफ़ या JPG फाइल बनाकर भेज दें. यहाँ पर आप एक कार्य और कर सकते हैं कि-अन्य सोफ्टवेयरों की सहायता से बगैर प्रिंट निकाले ही आप पीडीऍफ़ या JPG फाइल बनाकर भेज सकते हैं. इसके अलावा आप साफ, सुंदर व हस्तलिखित पत्र को भी स्कैन करके पीडीऍफ़ या JPG फाइल बनाकर भेज सकते हैं. उदाहरण के तौर नीचे देखें:मेरे द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम के एक कार्यालय को लैटरपैड पर भेजी ईमेल, रजिस्टर्ड ए.डी और कोरियर.
सबसे बेहतर और आसान तरीका है कि आप हिंदी में टायपिंग करने के लिए http://www.google.co.in/transliterate को खोलकर  हिंदी सलेक्ट करके अपना संदेश हिंदी में टाईप करके कापी कर लें.उसके बाद उस संदेश को मैसेज के स्थान पर पेस्ट कर दें.इससे आपकी ईमेल प्राप्तकर्ता को किसी फॉण्ट की आवश्यकता नहीं होगी. आपका संपूर्ण संदेश को पढ़ने और समझने में आसानी होगी.इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयरों में हिंदी की टाइपिंग कैसे करें जाने के लिए आप मेरी पिछली पोस्ट देखे.आईये पाठकों/दोस्तों आज हम यह (अगर हम हर रोज दस ईमेल या पत्र भेजते हैं तो हम कम से कम दो ईमेल या पत्र हिंदी में ही भेजेंगे)संकल्प लेकर सारी दुनियां को बता दें कि- हम सच्चे भारतीय हैं,जो इसकी शान-बान हेतु अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.जय हिंद!आप हिंदी के सन्दर्भ में अपने विचारों से मुझे अवगत कराएँ.
नियमित रूप से मेरा ब्लॉग http://rksirfiraa.blogspot.com/ & http://sirfiraa.blogspot.com/ देखें. अच्छी या बुरी टिप्पणियाँ आप करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें.
# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन: 09868262751, 09910350461 email: sirfiraa@gmail.com, महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है.हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे.इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें.आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.

सोमवार, अगस्त 23, 2010

हिंदी की टाइपिंग कैसे करें

इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयरों में
 हिंदी की टाइपिंग कैसे करें
चलिए! आज बात करते हैं हिंदी भाषा की, कहने को तो हिंदी हमारे देश की राजभाषा है. मगर आज हिंदी को उतना सम्मान नहीं मिल रहा है, जितने की हक़दार थीं. फिर भी आज जितनी हिंदी की पत्र-पत्रिकाये शुरू होती है, उतनी अंग्रेजी की नहीं. अच्छा अब इस बहस में नहीं पड़कर सीधे से अपने विषय पर आते हैं. वैसे हिंदी की टाइपिंग थोड़ी मुश्किल तो है, मगर इतनी मुश्किल भी नहीं है कि-हिंदी की टाइपिंग सीखी/करी न जा सकें.फिर हिंदी की टाइपिंग कौन-सी असंभव चीज है, जो करी न जा सकें. कहा जाता है कि-आसान कार्य तो सभी करते हैं, मगर मुश्किल कार्य कोई-कोई करता है. इसी सन्दर्भ में एक कहावत भी है कि-गिरते हैं मैदाने जंग में शेरे सवार,वो क्या खाक गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं.बस अपने मन में ठानकर निरंतर प्रयास करना शुरू कर दीजिये. तब देखना कैसे हिंदी पर आपकी उंगुलियां अपने आप कैसे और किस गति से चलती है.मैं आपको जितनी भी मुझे जानकारी है उसी के आधार पर हिंदी टाइपिंग से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी सरल (आम बोलचाल) भाषा में दे रहा हूँ. किसी प्रकार की कोई गलती हो गई हो तो क्षमा कर दें.मैंने सुना है कि ज्ञान बाँटने से ही ज्ञान बढ़ता है. उसी ज्ञान को बढ़ाने हेतु अपनी जानकारी आपसे बाँट रहा हूँ.
जब कंप्यूटर पर हिन्दी में काम आरंभ हुआ तो वहाँ हिन्दी के लिए कोई अलग से एनकोडिंग नहीं थी। तब रोमन के लिए जो एनकोडिंग थी उसी पर देवनागरी के अक्षर चस्पा कर दिए गए। इस तरह सैंकड़ों की संख्या में हिन्दी फोंट अस्तित्व में आ गए। लेकिन अब दुनिया की सभी भाषाओं के लिए एनकोडिंग हो चुकी है। देवनागरी भी उस में शामिल है। कंप्यूटर उसे समझता है। यह एनकोड़िंग यूनीकोड कही जाती है।
आप को इंटरनेट पर हिन्दी टाइप करने के लिए अंग्रेजी जानना कतई जरूरी नहीं है। आप सीधे हिन्दी टाइप कर सकते हैं. इस के लिए आप को इन्स्क्रिप्ट टाइपिंग सीखनी होगी। हिन्दी इन्स्क्रिप्ट टाइपिंग सीखने के लिए आसान हिन्दी टाइपिंग ट्यूटर नेट से मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है जिस की सहायता से आप 15 दिन में हिन्दी सीधे टाइप कर पाएंगे जो त्रुटिरहित होगी औऱ स्पीड भी अंग्रेजी के मुकाबले की आएगी।
सबसे पहले तो इन्टरनेट को छोड़कर अन्य सोफ्टवेयरों में हिंदी की टाइपिंग के लिए आपके कंप्यूटर में हिंदी के फॉण्ट होने चाहिए. कौन-कौन से हिंदी और अंग्रेजी के फॉण्ट होते हैं कुछों की जानकारी नीचे दी गई है.
आप हिंदी की टाइपिंग आने के बाद Adobe Page Maker, Adobe Photo Shop, Corel Draw, Paint, Word Pad और Microsoft office के सभी सोफ्टवेयर Access, Info Path, Out Look, Power Point, Publisher, Word Document, Excel आदि के किसी भी VERSION में हिंदी की टाइपिंग कर सकते हैं.जैसे Adobe Page Maket 7.0 और Corel Draw 12 आदि.
यह चार्ट आपको बताता है कि-किसी भी सोफ्टवेयर में हिंदी का फॉण्ट सलेक्ट करने के बाद Key Board के किस-किस अक्षर को दबाने से कौन-सा अक्षर आता है.अगर आपको अलग-अलग फॉण्ट में किसी विशेष अक्षर को लेकर समस्या आती है तब आप स्टार्ट पर किल्क करके all प्रोग्राम्स पर जाने के बाद accessories पर जाने के बाद सिस्टम टूल्स पर जाकर character map दिखने पर उसे दो बार किल्क कर दें. जिस फॉण्ट में जिस अक्षर की समस्या आ रही है. उसे सलेक्ट करके उस अक्षर को ढूढ़े और ढूढ़कर उसे किल्क करके नीचे देखें, वहां पर लिखा होगा कि उपरोक्त अक्षर किसके दबाने से आएगा. जैसे- "नारद" फॉण्ट में "द्द" अक्षर alt और 0237 एक साथ दबाने से आता है.
यह चार्ट आपको बताता है कि-किसी भी सोफ्टवेयर में हिंदी का "नारद" और "कुर्ती देव" फॉण्ट सलेक्ट करने के बाद alt और उपरोक्त निम्नलिखित नम्बरों को एक साथ दबाने से कौन-सा अक्षर आता है. इस चार्ट में "k" का अर्थ "कुर्ती देव" फॉण्ट से है.

इन्टरनेट पर हिंदी में टायपिंग करने के लिए आपको http://www.google.co.in/transliterate को खोलकर हिंदी सलेक्ट करके आपको key board से अंग्रेजी(रोमन में) के अक्षर लिखकर जैसे ही आप स्पेस दोगे,वो ही अक्षर हिंदी में बदल जायेगा. जैसे-हिंदी में "राम" लिखने के लिए 'ram' दबाकर स्पेश देना होगा. अपने आप ही 'ram' हिंदी में बदल जायेगा. किसी शब्द को टाइप करने के और स्पेश देने के बाद अगर गलत शब्द आता है तो आप backspace को एक-दो बार दबाते हैं तब एक बॉक्स में कई शब्द नज़र आयेंगे. उनमें से आपका जो उच्चारण के हिसाब से सही शब्द हो उसे 'मॉउस' की सहायता से या 'एरो' की मदद लेकर enter दबाकर सलेक्ट कर लें. अगर बॉक्स में सही शब्द न आये तो अपने अंग्रेजी के अक्षरों की जाँच करके ठीक से लिखें.उपरोक्त दोनों यह चार्ट आपको बताते हैं कि-कौन-कौन से अक्षर दबाने से इन्टरनेट पर हिंदी का कौन-कौन-सा अक्षर आता है.अगर आपको किसी शब्द के पहले और बीच में 'उ' चाहिए तो आपको 'u' दबाना होगा और किसी शब्द पर 'उ' की मात्रा चाहिए तो उस अक्षर के बाद 'u' दबाना होगा. जैसे-'कु' के लिए 'ku' इसी प्रकार हिंदी के शब्द में पहले और बीच में आधे अक्षर हेतु प्रयोग करना होगा. जैसे-'क्या' के लिए 'kya' और 'वक्त' हेतु 'wakt' लिखना होगा. इन्टरनेट पर 'ज्ञ' टाईप करने के लिए चार्ट के अनुसार 'jny' टाईप न करके 'gy' टाईप करें. इसी प्रकार 'ज्ञ' से जुड़े अन्य अक्षरों के लिए 'jn' के स्थान पर 'g' दबाकर पीछे के वहीं अक्षर दबाकर अपना शब्द पूरा करें.उपरोक्त चार्ट की मदद से हिंदी की टायपिंग सीख सकते हैं.
उपरोक्त यह चार्ट आपको हिंदी व अंग्रेजी आदि के कुछ फोन्टों के नामों जानकारी देता है.जो विभिन्न-विभिन्न नामों से फॉण्ट पहचाने जाते हैं.
 विशेष महत्वपूर्ण सूचना:अगर आप अपने कम्प्यूटर में adobe page maker का कोई भी version डाल लेते हैं और हिंदी की टाईपिंग की गति बढ़ना चाहते हैं. तब मैं हिंदी के कौन-कौन शब्दों का कब-कब कितना अभ्यास करना है से संबंधित फाईल आपकी आवश्यकता है की ईमेल मिलने पर ईमेल द्वारा दो फाईल भेज सकता हूँ.जिनके द्वारा आप अपनी हिंदी की टाईपिंग में गति बढ़ा सकते है
महोदय/ महोदया जी, आपने अपना कीमती समय मेरे ब्लॉग को पढ़ने के लिए दिया उसके लिए आपका तहे-दिल से आपका शुक्रिया (धन्यबाद) करता हूँ.
नियमित रूप से मेरा ब्लॉग http://rksirfiraa.blogspot.com/ & http://sirfiraa.blogspot.com/   देखें. अच्छी या बुरी टिप्पणियाँ आप करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें.
# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन: 09868262751, 09910350461 email:sirfiraa@gmail.com महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.

सोमवार, अगस्त 16, 2010

अतिशीघ्र पोस्टों में आप पढेंगे..


दोस्त ने पीठ में छुरा घोपा.......
पिता के नाम डेढ़ वर्षीय पुत्र का पत्र..
पुत्र के नाम पिता का पत्र.....
इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयर में हिंदी की टाइपिंग कैसे करें.....
हिंदी में ईमेल कैसे भेजें..

तीसरा खम्बा ब्लॉग ने जीने की राह दिखाई...
घरेलू हिंसा अधिनियम में एक उपधारा पुरुषों के हित में जोड़ी जानी चाहिए (सुझाव)
जब मान-सम्मान ही चला गया है, अब तो नंगा होने की जरूरत है... 
498 ए और 406 मेंआवश्यकता हैं बदलावों की(सुझाव) 
विवाहित महिलाओं के प्रति हो रहे शोषण में वूमंससैल  की जाँच प्रक्रिया में हो बदलाव (सुझाव)
वूमंससैल में पक्षपात खत्म हो और सरकार भ्रष्टाचार खत्म करें...
HCL कंप्यूटर कम्पनी उपयोक्ता को सर्विस देने के नाम पर परेशान करती हैं (अफसरों की कार्यशैली-आवाज रिकोट सहित और कंपनी के अपने घर के बनाये कानून (खोजबीन आधारित खास रिपोट

शुक्रवार, अगस्त 06, 2010

गुड़ खाकर, गुड़ न खाने की शिक्षा नहीं देता हूँ.

आज एक सज्जन व्यक्ति ने कई वेबसाइट http://www.saveindianfamily.org/ ,http://teesarakhamba.blogspot.com/  व मेरे  ब्लॉग   http://rksirfiraa.blogspot.com/,  http://sirfiraa.blogspot.com/       आदि पर मेरे द्वारा की टिप्पणियों के नीचे दिए जनहित हेतु संदेशों को पढ़कर फ़ोन करके पूछता है कि "सिरफिरा" जी आप हर टिप्पणी के नीचे एक संदेश देते है.नेत्रदान महादान आज ही करें, क्या आप ने नेत्रदान किये है? इसका उत्तर तो मैंने उन सज्जन को फ़ोन पर ही दे दिया था. मगर आप सभी दोस्तों व पाठकों के लिए फोटो है.उन्हें देखकर कर ही फैसला लें. हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े-लिखें को फारसी क्या.दोस्तों मेरे द्वारा नेत्रदान करने के बाद ही मुझसे प्ररेणा पाकर और भी कई लोगों ने आपने नेत्र मेरी फर्म"शकुंतला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" के माध्यम से "दान " किये थे.
काश...........हमारे देश में ऐसे नेता होते तो आज देश की यह हालत न होती. आज हमारे देश ऐसे नेताओं से भरा पड़ा है. जो गुड़ खाकर दूसरों को गुड़ न खाने की शिक्षा देते हैं. रिश्वत खुद लेते हैं और संदेश देते हैं कि रिश्वत न लो और न दों, करते हैं न दोगली बातें. क्या यहीं है मेरा भारत महान?


          
          
# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन: 09868262751, 09910350461 email: sirfiraa@gmail.com महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.

गुरुवार, अगस्त 05, 2010

घरेलू हिंसा अधिनियम की चोट

घरेलू हिंसा अधिनियम व धारा 498ए  
पर मेरी बेबाक टिप्पणियां और विचारधारा
प्रिय दोस्तों व पाठकों,  पिछले दिनों मैं काफी परेशान  चल  रहा था और इन्टरनेट पर कुछ खोजने की कोशिश कर रहा था कि अचानक ही एक वेबसाइट http://www.saveindianfamily.org/ खुल गई.उसमें होम पेज पर जाकर साईटमाप सलेक्ट किया और हिंदी के कई लेख पढने को मिलें उनको पढ़ लेने के बाद आर्टिकल्स में जाकर हिंदी खबरें सलेक्ट करके कई हिंदी के लेख और भी पढ़े. उनको पढने के साथ साथ उस समय जैसे विचार आ रहे थें. उन्हें व्यक्त करते हुए हर लेख के साथ ही अपने अनुभव के आधार पर अपनी टिप्पणियाँ कर दी. मगर इन्टरनेट पर हिंदी की टायपिंग के बारें में कुछ भी मालूम न होने की वजय से अंग्रेजी में थोडा बहुत लिख दिया लेकिन मन शंकित रहा कि पता नहीं लोगों को मेरे व्यक्त किये विचार समझ आये या नहीं! किसी प्रकार की कोई गलती होने से कहीं उनका मतलब कुछ और न बन गया हो. अब मुझे जब इन्टरनेट पर हिंदी की जानकारी हो गई है. तब मैंने अपनी सभी टिप्पणियों को हिंदी में दुबारा से पेस्ट किया है. 40-50 लेखों पर की कुछ टिप्पणियाँ निम्नलिखित है.किस लेख पर कौन सी की गई है यह जाने के लिए आपको http://www.saveindianfamily.org पर जाना होगा.
अगली पोस्ट में पढना न भूले:
दोस्त बनकर मेरी पीठ में छुरा घोपा

1.काफी अच्छा लेख भी लिखा गया है. एक पीड़ित व्यक्ति इसे अच्छी तरह से समझ सकता है. मैं प्रेस रिपोर्टर होकर भी इसका शिकार हो रहा हूँ. आम आदमी की तो क्या विसात. 2. काफी अच्छी जानकारी दी हुई है. सच में अगर दहेज़ की उपधारा 3 पर भी केस दर्ज हो तो फर्जी केस दर्ज ही न हो. वैसे हमारे देश में अँधा कानून है. फिर भी एक बार कोशिश कर के देख लें. क्या पता आपकी किस्मत अच्छी हो. मेरी किस्मत ठीक नहीं थी मगर हो सकता है कि आपकी किस्मत ठीक हो. मेरी दुआए आपके साथ है मि. विष्णु वर्मा जी. 3. हमारे देश की यह कडवी सच्चाई है. पुलिस कुछ नहीं करती है. अक्सर पत्नियां अपने पति तंग करती है और पति आत्महत्या कर लेते है. क्या कानून मि. विजय की पत्नी को कोई सजा देगा 4. प्रवीण जी के समाधान में तो महिला संगठन आ गए. मगर हर जगह तो पति के विरोध में ही खड़ी नजर आती है क्योकि उनको भी पहचान मिलती है . यह जानते हुए भी पत्नी गलत है . लेकिन फिर भी उसका ही साथ देती है .5. हमारे देश मैं तो शायद ही इस कानून पर ईमानदारी से पालन किया जायेगा. अगर सच में ऐसा होने लग जाये तो हमारे देश की यह समस्या ही खतम हो जाएगी. 6. काफी अच्छा फैसला दिया है.मगर कीमती 17 साल लगा दिए अदालत ने, इससे न्याय न होकर अन्याय ही हुआ .अदालतें अगर अपने फैसले जल्दी दें तो एक नया जीवन शुरू किया जा सकता है. 7. मगर ऐसा होगा लगता नहीं है.शिकायत को ही FIR तो माना ही जा रहा है.फिर हम कैसे कह सकते है कि झूठी FIR पर 10 साल की सजा दी जाएगी.शिकायत ही FIR होगी कहकर मुर्ख बनाया जा रहा है .शिकायत को ही FIR तो माना ही नहीं जा रहा है . फिर हम कैसे कह सकते है कि झूठी FIR पर 10 साल कि सजा दी जाएगी , वो भी सिर्फ कागजों में दी जाएगी . यह आदेश आने के बाद कि मेरी अनेको शिकायत मेने की उसकी तो आज तक FIR की कॉपी मुझे मिली नहीं है. 8. अच्छा फैसला दिया है . इस से कुछ पत्नियों को सबक मिलेगा 9. अधिकांश तलाक के मामलों में पत्नी के घरवालो की दखलंदाजी की वजय से ही तलाक होते है. 10. काश.....उस युवक की पत्नी ने उसके रंग को न देख कर उसके गुणों को देखा होता 11. उपरोक्त लेख सही लिखा है. हमारे देश के नेता ऐसे ही चुप बैठे रहेगे. अब पतियों को खुद ही हथियार उठाने होगे. 500-700 कत्ल होने के बाद ही सरकार का ध्यान जायेगा इस ओर. 12. अंधी, बहरी सरकार के कानों में जूँ नहीं रेगेगी. सरकार की नींद तो बम्ब के ही धमाकों से ही खुलती है . अब तो बस धमाके ही धमाके करने होगे.13. उपरोक्त आदेश को आये हुए लगभग 9 महीने हो चुके है . मगर राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस आज भी ठीक से जाँच करें बगैर ही धारा 498A के झूठे केस दर्ज कर रही है . इसका जीता जगाता सबूत है. मई 2010 में मेरे खिलाफ दर्ज FIR No.138/2010 थाना-मोतीनगर, दिल्ली. 14. विरोध का अंदाज काफी अच्छा है. 15. उपरोक्त लेख बहुत सही लिखा है. सरकार की नींद नहीं खुलेगी अब तो बम्ब के धमाके ही धमाके करने होगे, क्योकि इन्हें अपना वेतन ज्यादा करवाने से फुर्सत ही कहाँ है. आज भी राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस आज भी ठीक से जाँच करें बगैर ही धारा 498A के झूठे केस दर्ज कर रही है . इसका जीता जगाता सबूत है. मई 2010 में मेरे खिलाफ दर्ज FIR No.138/2010 थाना-मोतीनगर, दिल्ली. 16. हमारे देश के जजों, पुलिस और महिला आयोग की मानसिकता यह बनी हुई है कि आदमी ही औरत पर अत्याचार करता है, बल्कि आज महिला(पत्नी) और उसके परिवार वाले ज्यादा अत्याचार करते है. मगर यह सब जानते हुए भी जिम्मेदार अधिकारी पैसो के लालच में खामोश रहता है और पति पर जुल्म करता है. मात्र कुछ कागज के टुकडों के लिए अपना ईमान और ज़मीर को भी बेच देता है. 17. इस वीडियो में मि. चुग जी के विचारों से सहमत हूँ. धारा 498A में आज समय कि मांग है कि बदलाव होना चाहिए . क्या होम मिनिस्ट्री से भी बड़ें है यह नाममात्र महिला संगठन जो इन्होने बदलाव नहीं होने दिया .जब किसी मंत्री का बेटा, पोता इस में फंस जायेगा न तब देखना कैसे 1-2 दिन में ही कानून बदल जायेगा. 18. आज महिलाये इस कानून का गलत फायदा उठा रही है. इस लेख में सही कहा गया है . इस का जीता जागता गवाह में हूँ . आज अनेको मामलों में फंसा हुआ हूँ . मगर कहीं भी मेरा पक्ष नहीं सुना जा रहा है . कानून का सही इस्तेमाल होना चाहिए .आदमियों के लिए भी एक सैल बनना चाहिए . जैसे महिलायों के लिए वूमंस सैल और महिला आयोग है 19. लेख में मि गौरव सैनी के विचारों से सहमत हूँ . काफी अच्छा प्रयास है. धारा 498A में आज समय कि मांग है कि बदलाव होना चाहिए . क्या होम मिनिस्ट्री से भी बड़ें है यह नाममात्र महिला संगठन जो इन्होने बदलाव नहीं होने दिया .जब किसी मंत्री का बेटा, पोता इस में फंस जायेगा न तब देखना कैसे 1-2 दिन में ही कानून बदल जायेगा. 20.जब किसी मंत्री के बेटे-बेटी का मामला होगा न तब देखना कैसे 1-2 दिन में ही कानून बदल जायेगा. उपरोक्त लेख में इस कानून में बदलाव को लेकर अच्छे सुझाव है मगर सरकार इसमे भी कई साल लगा देगी.21. विल्कुल सही लिखा है .जो समस्या घर या पंचायत में ही ख़त्म हो जाती थी , वो अब पुलिस थानों में जाकर निपटती है. इसके लिए लड़कीवालो की गिरती नैतिकता जिम्मेदार है. 22. मेरे हिसाब से आज तक पारुल और उसके परिवार वालो का कुछ नहीं बिगडा होगा. जरुर किसी मंत्री ने I.O के पास फ़ोन करके कह दिया होगा कि यह तो हमारे बहुत ही खास आदमी है या फिर S.H.O और जाँच ऑफिसर ने कागज के चंद टुकड़ो में सौदा करके केस में इतनी हलकी धारा लगा दी होगी कि कोर्ट में भी उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा.23. बहुत अच्छा हुआ अगर हमारे देश में दहेज़ देने वालो के ऊपर भी केस दर्ज होने लग जाये तो दहेज़ कि धारा 498A का दुरूपयोग करने के मामलो में वैसे ही कमी आ जाये.24. हमारे देश के नेताओ की कार्यशैली इतनी अच्छी कहाँ है, जो किसी कानून में कुछ कमी रह जाने पर उस कमी को दूर कर दे . वो तो तब तक इन्तजार करते है जब तक उस के दुरूपयोग से लाखों लोग शिकार होकर मर नहीं जाते है और उनकी नींद 10-20 साल बाद खुलने कि थोड़ी बहुत उम्मीद होती है. वो भी जब अगर कुछ सिरफिरे लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते है. जब खुद उनकी जान पर आ पड़ती है. 25.उपरोक्त लेख में आई जी जावेद अख्तर साहब ने कहा तो सही है मगर छोटे अधिकारी थानाध्यक्ष, ए.एस.आई, हेड कांस्टेबल आदि इसका क्यों सही से पालन करेंगे क्या यह इस तरह के केसों में मिलने वाली मिठाई(रिश्वत) का मोह छोड़ पाएंगे. इन के बीबी और बच्चो का क्या होगा. 26.हमारे देश की कहानी ही कुछ और है. यहाँ कानून भी वोट को देखकर बनाये जाते है. जब राजनेता इस में फंसते है. तब बदलाव की बात करते है. 27. एक दिन हमारे देश में सिर्फ धारा 498A ही रह जाएगी और इसके पीड़ित. कानून की धारा 498A पर सरकार को जल्द से जल्द विचार-विमर्श करके दुरूपयोग रोकने का प्रयास करना चाहिए. इस कानून के शिकार डॉ., प्रेस रिपोर्टर, एडिटर और अनेक प्रतिभाशाली लोग हो रहे हैं.28. कानून तो बहुत पहले से है.मगर पुलिस केस ही दर्ज नहीं करती है.एक गरीब आदमी धारा156(3) के तहत कैसे कोर्ट में जाये. 29. कानून मंत्री को ज्यादा से ज्यादा लैटर लिखने चाहिए.वैसे यह मंत्री जब तक कानून नहीं बदलेंगे जब तक इनका कोई बेटा-बेटी इसका शिकार नहीं होती है.30. सही है. मगर हमारे देश में आदमियों की कोई सुनवाही नहीं होती है.31. इस कानून ने मात्र तीन साल में कई लाखो आदमियों की जान ले ली और न जाने कितने की और जान लेगा..32. अब गांधीगिरी से कुछ नहीं होने वाला, अब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तरह से घरेलू हिंसा अधिनियम व धारा 498ए के दुउपयोग के खिलाफ आन्दोलन करना होगा और सरकार को कानूनों में बदलाव करने के लिए मजबूर करना होगा. सरकार के चंद अंधे व बहरे नेता की आँखे व कान खोलने के लिए धमाके भी करने होंगे. 33. हमारे देश में कानून की धारा 498A वाह-वाह! औरत मारे तो कुछ नहीं और आदमी मारे तो घरेलू हिंसा व 498A. एक तरफ़ा कानून की मार से मर रहे है और कुछ पत्नी की मार से . ऐसे बनाते हैं कानून हमारे देश के राजनेता. जब राजनेता एन कानूनों का शिकार होते है . तब इनको कानून में बदलाव की याद आती है या फिर अपने दबाब से कानूनों को अपनी मर्जी से तोड़-मोड़ लेते हैं हमारे देश के राजनेता 34. यह हमारे देश की राजनीति है कोई मरता है तो दस बार मरे हमारी बला से, हमें तो अपनी कुर्सी कैसे बचानी है यह देखना है. 35.दहेज निरोधक कानून के तहत दर्ज मामला गैर जमानती और दंडनीय होने के कारण और भी उलझ जाता है। आत्मसम्मान वाले व्यक्ति के लिए यह काफ़ी घातक हो गया है, जब तक अपराध का फ़ैसला होता है जेल में रहते-रहते वह इस तरह खुद को बेइज्जत महसूस करता है कि मर जाना पसंद करता है, जिसके पिछले दिनों में कई किस्से नजर आए थे कि कई पुरुषों ने बदनामी से बचने के लिए आत्महत्या कर ली, आत्मसम्मान वाले आदमी के लिए एक बार गिरफ्तार हो जाना काफी घातक होता है। 36. घरेलू हिंसा अधिनियम व दहेज क़ानून का दुऱुउयोग हो रहा है.वूमन्स सेल में जाँच के नाम पर अपनी रिश्व्त के लिए सौदेबाजी ज़्यादा होती है. अगर महिला आयोग इतना ही दूध का धुला है तब क्यो नही पति-पत्नी के पक्ष की विडीयो फिल्म बनवाता है. आज हमारे देश के जजो व पुलिस की मानसिकता बन गई है कि आदमी अत्याचार करता है. 498अ नामक हथियार लङकी के हाथ आने से लङकी और मां-बाप के लिए पैसे कमाने का धंधा बन गया है और जो एक प्रकार से बेटी बेचने के समान है. इस मे जल्द से जल्द बदलाव होना चाहिए.
# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन: 09868262751, 09910350461 email: sirfiraa@gmail.com महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है
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मार्मिक अपील-सिर्फ एक फ़ोन की !

मैं इतना बड़ा पत्रकार तो नहीं हूँ मगर 15 साल की पत्रकारिता में मेरी ईमानदारी ही मेरी पूंजी है.आज ईमानदारी की सजा भी भुगत रहा हूँ.पैसों के पीछे भागती दुनिया में अब तक कलम का कोई सच्चा सिपाही नहीं मिला है.अगर संभव हो तो मेरा केस ईमानदारी से इंसानियत के नाते पढ़कर मेरी कोई मदद करें.पत्रकारों, वकीलों,पुलिस अधिकारीयों और जजों के रूखे व्यवहार से बहुत निराश हूँ.मेरे पास चाँदी के सिक्के नहीं है.मैंने कभी मात्र कागज के चंद टुकड़ों के लिए अपना ईमान व ज़मीर का सौदा नहीं किया.पत्रकारिता का एक अच्छा उद्देश्य था.15 साल की पत्रकारिता में ईमानदारी पर कभी कोई अंगुली नहीं उठी.लेकिन जब कोई अंगुली उठी तो दूषित मानसिकता वाली पत्नी ने उठाई.हमारे देश में महिलाओं के हितों बनाये कानून के दुरपयोग ने मुझे बिलकुल तोड़ दिया है.अब चारों से निराश हो चूका हूँ.आत्महत्या के सिवाए कोई चारा नजर नहीं आता है.प्लीज अगर कोई मदद कर सकते है तो जरुर करने की कोशिश करें...........आपका अहसानमंद रहूँगा. फाँसी का फंदा तैयार है, बस मौत का समय नहीं आया है. तलाश है कलम के सच्चे सिपाहियों की और ईमानदार सरकारी अधिकारीयों (जिनमें इंसानियत बची हो) की. विचार कीजियेगा:मृत पत्रकार पर तो कोई भी लेखनी चला सकता है.उसकी याद में या इंसाफ की पुकार के लिए कैंडल मार्च निकाल सकता है.घड़ियाली आंसू कोई भी बहा सकता है.क्या हमने कभी किसी जीवित पत्रकार की मदद की है,जब वो बगैर कसूर किये ही मुसीबत में हों?क्या तब भी हम पैसे लेकर ही अपने समाचार पत्र में खबर प्रकाशित करेंगे?अगर आपने अपना ज़मीर व ईमान नहीं बेचा हो, कलम को कोठे की वेश्या नहीं बनाया हो,कलम के उद्देश्य से वाफिक है और कलम से एक जान बचाने का पुण्य करना हो.तब आप इंसानियत के नाते बिंदापुर थानाध्यक्ष-ऋषिदेव(अब कार्यभार अतिरिक्त थानाध्यक्ष प्यारेलाल:09650254531) व सबइंस्पेक्टर-जितेद्र:9868921169 से मेरी शिकायत का डायरी नं.LC-2399/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 और LC-2400/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 आदि का जिक्र करते हुए केस की प्रगति की जानकारी हेतु एक फ़ोन जरुर कर दें.किसी प्रकार की अतिरिक्त जानकारी हेतु मुझे ईमेल या फ़ोन करें.धन्यबाद! आपका अपना रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"

क्या आप कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अपने कर्त्यवों को पूरा नहीं करेंगे? कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अधिकारियों को स्टेडियम जाना पड़ता है और थाने में सी.डी सुनने की सुविधा नहीं हैं तो क्या FIR दर्ज नहीं होगी? एक शिकायत पर जांच करने में कितना समय लगता है/लगेगा? चौबीस दिन होने के बाद भी जांच नहीं हुई तो कितने दिन बाद जांच होगी?



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